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मोदी सरकार की नीतियों का नतीजा, आर्थिक मोर्चे पर चीन को मिला करारा झटका

प्रकाशित 26/02/2024, 11:45 pm
अपडेटेड 26/02/2024, 06:16 pm
मोदी सरकार की नीतियों का नतीजा, आर्थिक मोर्चे पर चीन को मिला करारा झटका

नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। भारत को घेरने की कोशिश में जुटे चीन को मोदी सरकार करारा जवाब देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। साल 2014 में देश की कमान संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लगातार कूटनीतिक और सैन्य मोर्चे पर चीन की हर चुनौती का बखूबी जवाब देती आई है। मोदी सरकार ने चीन की हर चाल को नाकाम करने के लिए लगातार प्रभावी कदम उठाए हैं। फिर चाहे वो एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन का मसला हो या फिर आर्थिक मोर्चे पर चीन की चालबाजी की बात हो या तकनीकी क्षेत्र की। हमेशा ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ड्रैगन को उसी की भाषा में जवाब दिया है।

भारत और चीन के रिश्तों में तल्खी उस वक्त ज्यादा बढ़ गई, जब एलएसी पर चीनी सैनिक और भारतीय सैनिक के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। हालांकि भारतीय सैनिकों ने भी चीन को काफी नुकसान पहुंचाया था और उसके 40 से ज्यादा सैनिक हताहत भी हुए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में लगातार खटास देखने को मिली है।

इसके बाद भारत सरकार ने चीन के खिलाफ डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए जवाब दिया। मोदी सरकार ने एलएसी विवाद के बाद टिक टॉक समेत 50 से ज्यादा चीनी ऐप को बैन कर दिया। इसके साथ ही मोदी सरकार ने चीन को यह संदेश देने की कोशिश की। भारत हर एक क्षेत्र में चीन को पटखनी देने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। इसी के तहत मोदी सरकार ने साल 2020 से 2023 के बीच कुल मिलाकर 300 से ज्यादा चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया।

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इससे भी बड़ा झटका चीन को मोदी सरकार ने बीते कुछ दिनों में दिया है। जब भारत सरकार ने चीन के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए यहां काम कर रही 17 चीनी कंपनियों को बैन कर दिया। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने इन कंपनियों को टेंडर प्रक्रियाओं में भाग लेने से बैन कर दिया। जिनमें एक्सपी-पेन, लेनोवो, हाईविजन हिकविजन, लावा, दहुआ, ओटोमेट, जोलो, एयरप्रो, ग्रैंडस्ट्रीम, वाई-टेक, रियलटाइम, मैक्सहब, डोमिनोज़, रेपुटर और टायरो जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थी।

ड्रैगन के खिलाफ इतना बड़ा कदम उठाने वाला भारत विश्व का पहला देश भी बन गया। कोई भी ऐसा देश नहीं, जिसने चीनी के खिलाफ इतना सख्त एक्शन लिया हो। भारत सरकार के इस फैसले को उन चीनी सामान पर एक महत्वपूर्ण कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने ब्रांड का नाम बदलकर और भारतीय संस्थाओं के साथ गठजोड़ कर भारत में एंट्री कर रहे थे और जिनका मकसद अपने मूल स्थान को छिपाना था, साथ ही अपनी पहचान छिपाकर चीन की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाना इनका मकसद था, जो भारत के राजनीतिक और सुरक्षा हितों को प्रभावित भी कर रहा था।

इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी सरकार चीन को कड़ा सबक सिखाने के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। भारत सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में तेजी से अपने कदम आगे बढ़ रहा है, हालांकि चीन को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को अपना बादशाह मानता है। विश्व भर में सेमीकंडक्टर की कुल बिक्री में चीन का एक तिहाई हिस्सा है। इसके अलावा दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका और विश्व के तमाम देश सेमीकंडक्टर के लिए चीन और ताइवान पर आत्मनिर्भर हैं। इस वक्त सेमीकंडक्टर का कारोबार बहुत बड़ा है। इस चिप मार्केट का साइज 500 अरब डॉलर से ज्यादा का है। ताइवान दुनिया के लिए सेमीकंडक्टर का हब है।

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सेमीकंडक्टर मार्केट शेयर का 63 प्रतिशत हिस्सा ताइवान का है यानी कहा जाए तो सेमीकंडक्टर में ताइवान का दबदबा है। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत और ताइवान के बीच रिश्ते काफी घनिष्ठ हुए हैं, ऐसे में चीन को भारत-ताइवान की दोस्त बिल्कुल भी रास नहीं आ रही है।

भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है। चीन की बौखलाहट वैसे-वैसे सामने आ रही है। ऐसे में ड्रैगन भारत के इस मिशन को नाकाम करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। माइक्रोचिप के लिए पूरी दुनिया अब तक चीन और ताइवान पर निर्भर रहे है। वहीं अब भारत अपने कदम इस ओर आगे बढ़ा रहा है, और चिप मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने से विश्व भर के देशों के पास भारत एक बड़े विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आया है। अमेरिका समेत कई बड़े देश भारत के चिप मिशन का सपोर्ट भी कर रहे हैं। यह बात चीन को बिल्कुल हजम नहीं हो रही है।

भारत में सेमीकंडक्टर उत्पाद के लिए प्लांट लगाने वाली कंपनी को सरकार ने आर्थिक मदद देने का भी ऐलान कर दिया है। मोदी सरकार की इन कोशिशों को देख चीन तिलमिलाया हुआ है। दरअसल चीन जानता है कि अगर भारत अपने इस मिशन में कामयाब हो गया तो उसके आर्थिक साम्राज्य की कमर टूट जाएगी।

आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एपल ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने की योजना तैयार की है। कंपनी ने चीन को बड़ा झटका देते हुए अपनी मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा भारत में शिफ्ट करने की योजना जगजाहिर कर दी है। हाल ही में एपल ने भारत में दो रिटेल स्टोर्स भी खोले हैं।

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--आईएएनएस

एसके/

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