iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने आंदोलनकारी किसानों के समक्ष पांच फसलों- तुवर, उड़द, मसूर, मक्का तथा कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने का प्रस्ताव रखा लेकिन किसानों ने उसे अस्वीकार कर दिया। दरअसल सरकार ने केवल पांच फसलों के लिए पांच साल तक एमएसपी की गारंटी दी थी जबकि किसान सभी 23 फसलों के लिए एमएसपी की स्थायी गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकारी प्रस्ताव को तरह नामंजूर करते हुए दिल्ली कुछ का एलान कर दिया जबकि हरियाणा एवं दिल्ली में उसे घुसने से रोकने के लिए अत्यन्त व्यापक इंतजाम किए गए हैं। पंजाब की किसान मजदूर संघर्ष समिति ने भी केन्द्र के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए दिल्ली मार्च का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने तुवर की खरीद के लिए एक नया पोर्टल लांच किया है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का की खरीद का प्लान भी बनाया है जबकि जल्दी ही इस सूची में उड़द, मसूर एवं कपास को भी शामिल किए जाने की उम्मीद है।
सरकार द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन को मिलाकर कुल 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया जाता है। उसक दावा है कि यदि एमएसपी पर इन फसलों की खरीद की गई तो कुल खर्च 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। लेकिन किसान संगठन की राय इससे अलग है।
उसका कहना है कि किसानों को समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सभी फसलों की खरीद करना आवश्यक नहीं है। इसे केवल एमएसपी की गारंटी का कानून बनाकर उसे लागू करना है ताकि यदि कोई व्यापारी अथवा उद्यमी किसानों से खरीद करे तो उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करना अनिवार्य हो।
कुछ लोगों का कहना है कि इससे महंगाई बढ़ेगी। इस पर किसानों का कहना है कि ऐसी आशंका के आ क में एमएसपी का निर्धारण करना ही बेकार है। यदि एमएसपी घोषित होता है तो वह किसानों अवश्य मिलना चाहिए। इसके साथ-साथ सरकार को तिलहन उत्पादकों के हितों का भी खास ध्यान रखना चाहिए।