शेलबोर्न (आई-ग्रेन इंडिया)। ऑस्ट्रेलिया में 28-31 मई के दौरान आयोजित हो रहे ग्लोबल पल्सेस कॉनफेडरेशन (जीपीसी) के पल्सेस कॉनक्लेव 2023 में लाल मसूर का सकल वैश्विक उत्पादन चालू वर्ष के दौरान बढ़कर 70.98 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जो वर्ष 2022 के उत्पादन 66.77 लाख टन से 4.21 लाख टन ज्यादा है।
इससे पूर्व लाल मसूर का वैश्विक उत्पादन वर्ष 2021 में 57.93 लाख टन वर्ष 2020 में 68.57 लाख टन आंका गया था। इसके तीन शीर्ष उत्पादक देशों में कनाडा, भारत एवं ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। मालूम हो कि भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में मुख्यत: लाल मसूर का ही उत्पादन होता है जबकि कनाडा में इसके अलावा हरी मसूर की पैदावार भी बड़े पैमाने पर होती है।
कॉनक्लेव में लाल मसूर का कुल उपयोग पिछले साल के 67.36 लाख टन से 1.64 लाख टन बढ़कर चालू वर्ष में 69 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया जबकि इसकी मात्रा 2021 में 61 लाख टन तथा 2020 में 65.18 लाख टन आंकी गई थी। इसी तरह इसका वैश्विक आयात निर्यात (कारोबार) भी 43 लाख टन से 3 लाख टन बढ़कर 46 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई है जो 2021 के व्यापार 38.60 लाख टन से ज्यादा मगर 2020 के कारोबार 52 लाख टन से कम है।
उपयोग की तुलना में उत्पादन ज्यादा होने से लाल मसूर के वैश्विक बकाया स्टॉक में इजाफा होने की उम्मीद है।
कॉनक्लेव के दौरान कनाडा में लाल मसूर का उत्पादन 2022 के 15.75 लाख टन से 1.61 लाख टन बढ़कर 2023 में 17.36 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया जबकि ऑस्ट्रेलिया में उत्पादन 12.50 लाख टन से 3.41 लाख टन घटकर 9.09 लाख टन पर सिमटने की संभावना व्यक्त की गई है।
ध्यान देने की बात है कि इन दोनों देशों से लाल मसूर का सबसे अधिक निर्यात होता है। भारत इसका प्रमुख खरीदार देश है। चालू वर्ष के दौरान कनाडा में 1.93 लाख टन तथा ऑस्ट्रेलिया में 40 हजार टन मसूर का घरेलू खपत होने का अनुमान है।
इस वर्ष कनाडा से 16.10 लाख टन तथा ऑस्ट्रेलिया से 9.50 लाख टन लाल मसूर का निर्यात हो सकता है।