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हरियाणा में गेहूं तथा सरसों की सरकारी खरीद लगभग बंद

प्रकाशित 06/05/2023, 10:19 am
अपडेटेड 09/07/2023, 04:02 pm
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हिसार (आई-ग्रेन इंडिया)। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का योगदान देने वाले एक अग्रणी राज्य- हरियाणा की मंडियों में चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान गेहूं की आवक तेजी से घटती जा रही है। इस बार वहां 60.50 लाख टन से अधिक गेहूं की सरकारी खरीद हुई जो पिछले सीजन की समान अवधि की कुल खरीद करीब 40 लाख टन से काफी अधिक है।

सरकार ने वहां इस वर्ष 75 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है मगर क्रय केन्द्रों पर आवक नगण्य होने से वास्तविक खरीद इस नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह जाने की संभावना है। 2022 में हरियाणा में मार्केटिंग सीजन की समाप्ति तक कुल 41.86 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी जिसके मुकाबले इस वर्ष की खरीद काफी ज्यादा है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि मार्च के प्रतिकूल मौसम से फसल को क्षति पहुंचने के बावजूद हरियाणा में इस वर्ष गेहूं की आवक एवं सरकारी खरीद में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई।

गेहूं की खरीद 2 मई तक करनाल में 7.39 लाख टन, सिरसा में 7.20 लाख टन, कैथल में 6.28 लाख टन, जींद में 6.17 लाख टन, हिसार में 3.95 लाख टन,फतेहाबाद में 5.79 लाख टन, अम्बाला में 2.28 लाख टन, कुरुक्षेत्र में 4.92 लाख टन, पलवल में 1.78 लाख टन, रोहतक में 1.88 लाख टन, सोनीपत में 3.36 लाख टन, झज्जर में 1.41 लाख टन, यमुनानगर में 2.68 लाख टन एवं भिवानी जिले में 1.03 लाख टन पर पहुंची। इसके अलावा फरीदाबाद, चरखी दादरी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, नूंह, पंचकूला तथा रेवाड़ी जिलों में भी गेहूं खरीदा गया मगर इनमे से प्रत्येक जिले में खरीद की मात्रा एक लाख टन से कम रही।
अब सरकारी क्रय केन्द्रों पर वीरानी छाने लगी है।

जहां तक सरसों का सवाल है तो केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) ने वहां किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इस महत्वपूर्ण तिलहन की खरीदारी जोर शोर से शुरू की थी लेकिन कुल अनुमानित उत्पादन के लगभग 25 प्रतिशत भाग की खरीद पूरी होने के बाद एजेंसी ने अपनी गतिविधि रोक दी।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस बार हरियाणा में 4 मई 2023 तक किसानों से 1891.72 करोड़ रुपए मूल्य 3,47,605 टन सरसों की खरीद की गई। सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 50500 रुपए टन से बढ़ाकर इस बार 54,500 रुपए प्रति टन निर्धारित किया है और वहां भी किसानों से इसी मूल्य पर सरसों खरीदी गई।

नैफेड की खरीदारी अचानक बंद होने से किसान अत्यन्त निराश एवं हताश है। उसके पास सरसों का अच्छा खासा स्टॉक अभी मौजूद है लेकिन इसे समर्थन मूल्य पर बेचना भी मुश्किल हो रहा है।

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