iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान भारतीय रिफाइंड सूरजमुखी तेल के कारोबार में 8-10 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है क्योंकि इसकी मांग कमजोर रहने की संभावना है लेकिन इससे रिफाइनर्स की आय यानी संचालनीय आमदनी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उसमें कुछ बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
दरअसल पहले सोयाबीन तेल का भाव काफी ऊंचा एवं तेज होने से जो घरेलू उपभोक्ता सूरजमुखी तेल की तरफ आकर्षित हो गए थे वे अब पुनः सोया तेल की ओर वापस लौटने लगे है। सोया तेल का दाम घटकर सामान्य स्तर पर आ गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस सुझाव में हुए परिवर्तन के बावजूद सूरजमुखी तेल के रिफाइनर्स को अपनी आमदनी में 50-60 आधार बिंदुओं की बढ़ोत्तरी करने का अवसर मिलने की उम्मीद है।
इसका कारण यह है कि सूरजमुखी तेल का भाव स्थिर बना रहेगा, इसकी प्रभावी हेजिंग नीतियां कारगर साबित होंगी और सरकार भी इसके शुल्क मुक्त आयात को निरन्तर जारी रखना चाहेगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी तेल का भाव घटकर सोयाबीन तेल के अत्यन्त करीब आ गया है।
रिपोर्ट के अनुसार सोयाबीन का शानदार उत्पादन होने की संभावना से सोया तेल का भाव 2024-25 वित्त वर्ष के दौरान करीब 100 डॉलर प्रति टन घटकर सूरजमुखी तेल के समकक्ष आ जाएगा।
इसके फलस्वरूप सूरजमुखी तेल की कुल घरेलू खपत वित्त वर्ष 2023-24 के 32 लाख टन से घटकर 2024-25 में 28-29 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है।
वैसे यह मात्रा भी पंचवर्षीय औसत खपत की तुलना में काफी ऊंची है। सूरजमुखी तेल की मांग एवं खपत में कमी आने के बावजूद इसकी कीमतों में गिरावट आने की संभावना नहीं है और रिफाइंड सूरजमुखी तेल का दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार रहने के आसार हैं। इसका आयात खर्च ऊंचा रह सकता है।
सूरजमुखी तेल का आयात मुख्यत: रूस, यूक्रेन तथा अर्जेन्टीना से होता है जबकि सोया तेल अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से मंगाया जाता है।
रिफाइनर्स के पास सस्ते दाम पर आयातित सूरजमुखी तेल का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है और उसमें रिफाइंड तेल के स्टॉक को रोकने की क्षमता भी है जिससे बाजार भाव में ज्यादा मंदा आना मुश्किल लगता है।