मूंग-मोठ की वजह से दलहनों के क्षेत्रफल में इजाफा

iGrain India

प्रकाशित 15 जुलाई, 2025 22:02

मूंग-मोठ की वजह से दलहनों के क्षेत्रफल में इजाफा

मूंग-मोठ की वजह से दलहनों के क्षेत्रफल में इजाफा

iGrain India - नई दिल्ली। हालांकि तुवर (अरहर) एवं उड़द को खरीफ सीजन का प्रमुख दलहन माना जाता है मगर इसका उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से पीछे चल रहा है। तीसरे प्रमुख दलहन- मूंग की बिजाई खासकर राजस्थान में अत्यन्त तेजी से बढ़ी है और वहां मोठ की भी अच्छी बिजाई हुई है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इसका क्षेत्रफल पिछले साल से काफी आगे निकल गया है। दलहन फसलों की बिजाई में हाल के दिनों में सुधार आया है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 11 जुलाई तक 53.40 लाख हेक्टेयर से 13.70 लाख हेक्टेयर बढ़कर 67.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन अभी यह रकबा 129.61 लाख हेक्टेयर के पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल से काफी पीछे है। जुलाई के शेष दिनों एवं अगस्त में इसकी बिजाई की प्रक्रिया जारी रहेगी और उसके बाद ही क्षेत्रफल का वास्तविक आंकड़ा सामने आ पाएगा। 

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पिछले साल के मुकाबले इस बार अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र 27.20 लाख हेक्टेयर से घटकर 25.40 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 11.55 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 11.45 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।

दूसरी ओर मूंग का क्षेत्रफल 12.20 लाख हेक्टेयर से उछलकर 23.15 लाख हेक्टेयर तथा मोठ का रकबा 7.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.45 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

कुलथी के बिजाई क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह 14 हजार हेक्टेयर पर स्थिर रहा मगर चोला सहित अन्य दलहनों का क्षेत्रफल 1.80 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 2.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। 

वर्तमान खरीफ सीजन के लिए सामान्य औसत क्षेत्रफल तुवर के लिए 44.71 लाख हेक्टेयर, उड़द के लिए 32.64 लाख हेक्टेयर तथा मूंग के लिए 35.70 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि वास्तविक बिजाई इससे बहुत कम हुई है।

विभिन्न राज्यों में मानसून की बारिश जारी है और किसान दलहन फसलों की खेती में अच्छी सक्रियता भी दिखा रहे हैं जिससे इसके क्षेत्रफल में सुधार का सिलसिला बना हुआ है लेकिन पिछले साल के स्तर और सामान्य औसत क्षेत्रफल तक पहुंचने के लिए बिजाई की गति तेज करने की आवश्यकता है।

प्रमुख उत्पादक राज्यों में उड़द की बिजाई जोर पकड़ने लगी है जिससे इसका रकबा गत वर्ष के अत्यन्त निकट पहुंच गया है मगर तुवर के बारे में चिंता अभी बरकरार है जबकि उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में 450 रुपए प्रति क्विंटल की भारी बढ़ोतरी की गई है।                                 

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