iGrain India
प्रकाशित 10 जुलाई, 2025 21:57
गन्ना के प्रमुख उत्पादक इलाकों में अच्छी बारिश की जरूरत
iGrain India - नई दिल्ली। यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर कुल वर्षा सामान्य औसत की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक हुई है मगर गन्ना के प्रमुख उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार एवं आंध्र-तेलंगाना में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 28 जिलों में बारिश का भारी अभाव है। इसी तरह कर्नाटक के 31 में से 12 जिले वर्षा की कमी से जूझ रहे हैं।
बिहार 33 में से 33 जिलों में वर्षा की किमी महसूस हो रही है जबकि तमिलनाडु के 38 में से 20 जिले, आंध्र प्रदेश के 26 में से 14 जिले तथा तेलंगाना के 33 में से 17 जिले को भारी वर्षा की सख्त आवश्यकता है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा संभाग में भी सामान्य औसत से कम बारिश होने की सूचना मिल रही है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान देश में गन्ना के उत्पादन क्षेत्र में कुछ बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मौसम और मानसून कैसा रहता है।
गत वर्ष कहीं बारिश का अभाव रहने तो कहीं अतिरिक्त वर्षा होने से गन्ना की फसल को भारी नुकसान हुआ था और इसलिए 2024-25 के सीजन में चीनी के उत्पादन में काफी गिरावट आ गई। सरकार ने पिछले साल भी गन्ना के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी का आंकड़ा किया था।
कहने का आशय यह है कि सिर्फ बिजाई क्षेत्र में थोड़ी-बहुत वृद्धि होने से उत्पादन बढ़ने की गारंटी नहीं रहती है। बेहतर उत्पादन के लिए मौसम एवं मानसून का अनुकूल रहना आवश्यक है।
पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों में अच्छी बारिश हो रही है जिससे वहां गन्ना की फसल को विशेष खतरा नहीं है लेकिन शीर्ष उत्पादक प्रांतों के बारे में फिलहाल ऐसा दावा करना मुश्किल है।
गन्ना की क्रशिंग अक्टूबर से शुरू होने वाली है लेकिन उससे पूर्व जुलाई-अगस्त का मौसम इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। मौसम विभाग ने जुलाई में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से अधिक बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया है।
यदि गन्ना के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी वर्षा हुई तो चीनी का शानदार उत्पादन हो सकता है। मोटे तौर पर संघों-संगठनों द्वारा 2025-26 के मार्केटिंग सीजन में 350 लाख टन चीनी का घरेलू उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।
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