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प्रकाशित 07 जुलाई, 2025 18:41
पंजाब तथा हरियाणा में धान की खेती में किसानों का उत्साह बरकरार
iGrain India - चंडीगढ़। केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले दो अग्रणी राज्यों- पंजाब तथा हरियाणा में धान की खेती के प्रति किसानों में उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है जिससे इसके उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं।
हालांकि पंजाब में पानी का अभाव रहता है और फसल की विविधिकरण योजना पर विशेष ध्यान भी दिया जा रहा है लेकिन फिर भी धान की खेती से किसानों का मोहभंग नहीं हो रहा है।
जमीनी स्तर पर किए गए सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि इन दोनों राज्यों में एक बार फिर धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़ सकता है। वहां इसका क्षेत्रफल बढ़कर 23 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंच गया है जो गत वर्ष की समान अवधि में 18.50 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था।
जुलाई के अंत तक वहां धान की रोपाई जारी रहने की संभावना है। पंजाब सरकार द्वारा इस बार किसानों को 1 जून से ही धान की खेती आरंभ करने की अनुमति दे दी गई जबकि आमतौर पर 15 जून से इसकी रोपाई की स्वीकृति प्रदान की जाती है।
इस पर कुछ सवाल भी उठे थे क्योंकि सरकार के इस निर्णय से राज्य में भूमिजल एवं भूमिगत जल पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की आशंका है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 के खरीफ सीजन के दौरान पंजाब में धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 32.44 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था जिसमें 6.39 लाख हेक्टेयर में बासमती धान का रकबा भी शामिल था।
फिलहाल वहां जोर शोर से धान की रोपाई जारी है जिसे देखते हुए कृषि विभाग का मानना है कि चालू वर्ष के दौरान पंजाब में धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के बराबर या उससे अधिक रह सकता है।
पंजाब सरकार फसल विविधिकरण योजना पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन फिर भी वहां धान की खेती में किसानों की जबरदस्त दिलचस्पी देखी जा रही है। पंजाब केन्द्रीय पूल में धान-चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
पंजाब में खरीफ कालीन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र करीब 36 लाख हेक्टेयर रहता है जिसमें अकेले धान के रकबे की भागीदारी 90 प्रतिशत से ज्यादा रहती है।
हरियाणा में धान का सामान्य औसत क्षेत्र 15 लाख हेक्टेयर के करीब रहता है जो कुल कृषि योग्य भूमि 30 लाख हेक्टेयर का 50 प्रतिशत है।
रोपाई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य में इस बार धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 15 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच जाने की संभावना है।
राज्य में धान की सीधी बिजाई वाली विधि पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है और किसान भी इसमें दो वर्षों से अच्छी रूचि दिखा रहे हैं। अब वहां करीब पांच लाख हेक्टेयर में इस विधि से धान की खेती होने लगी है।
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